अयोध्या वह स्थान है जहां विभिन्न 'तीर्थंकरों' के 18 'कल्याणक' हुए हैं। पांच तीर्थंकरों ने यहां जन्म लिया और अपने धार्मिक मूल्यों का प्रचार किया, उनमें आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ, अनंतनाथ शामिल हैं। फैजाबाद के नवाब के कोषाध्यक्ष केसरी सिंह ने इन तीर्थंकरों के जन्म स्थान को चिह्नित करने के लिए पांच जैन मंदिरों का निर्माण कराया। दिगंबर जैन संप्रदाय का यह मंदिर पहले तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है, जिन्हें आदिनाथ, पुरदेव, वृषभदेव और आदि ब्रह्मा के नाम से भी जाना जाता है। यहां ऋषभदेव की संगमरमर की 31 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। इस स्थान को हाल ही में आचार्य रत्न देशभूषणजी महाराज और आर्यिका ज्ञानमती माताजी के आशीर्वाद से विकसित किया गया है।
Ayodhya is the place where 18 ‘Kalyanak’ of different ‘Tirthankars’ have taken place. Five Thirthankars were born and preached their religious values here, they include Adinath, Ajitnath, Abhinandannath, Sumatinath, Ananthnath. Kesari Singh, the treasurer of Nawab of Faizabad, got the five Jain shrines constructed to mark the birthplace of these Thirthankers. This temple of Digamber Jain sect is dedicated to first Tirthanker Rishabhdev, who is also known as Adinath, Purdev, Vrishabhdev and Adi Brahma.This magnificent, majestic new temple popularly known as Badi Murti is situated in Raiganj locality of Ayodhya. Here a 31 feet high marble statue of Rishabhdev is installed. This place has been recently developed with the blessings of Acharya ratna Deshbhushanji Maharaj and Aryika Gyanmati Mataji.