उन्होंने पूछा – “तो क्या आपके ह्रिदय  में राम हैं?” अगर ऐसा है तो हमे दिखाइए ,वर्ना इस ह्रिदय का भार आप क्यों उठा रहे है।

हनुमान ने कहा – “निश्चित रूप से भगवान मेरे ह्रिदय में हैं। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा आप अपने सामने अभी प्रभु को देख रहे हैं।’

उन्होंने अपने दोनों हाथ छाती पे लगाए और सीना चीर के दिखाया, उसमे प्रभु श्रीराम ,सीता और चार भाई के साथ बैठे हुवे थे। सभी लोग हनुमान की महिमा का गुणगान करने लगे।

हनुमान का सीना चीरना देख प्रभु भावुक हो उठे, भगवान सिंहासन से उठते हैं, और हनुमान को गले लगाते हैं।जैसे ही भगवन ने उनके शरीर को स्पर्श किया, उनका वक्ष्य स्थल अपने आप ठीक हो गया और हनुमान का सीना पहले से भी अधिक मजबूत हो गया।

भगवान ने हनुमान को उपहार क्यों नहीं दिया, इसका रहस्य अब सभी समझ गए थे। इस प्रकार हनुमान का सीना चीरना प्रभु श्री राम की अनन्य भक्ति का एक उदहारण था।