कमलनाल से प्रकट होने पर ब्रह्माजी को सर्वप्रथम यही स्थान दृष्टिगोचर हुआ था। इसका मूल नाम "ब्रह्मतीर्थ " है। इसे लोग ब्रह्मकुंड भी कहते हैं। इसी स्थान पर गुरुद्वारा आज भी स्थित है। यहाँ पर रखे हुए उनके धर्मग्रंथों का वर्णन करने के लिए प्रति वर्ष हजारों सिख यात्री अयोध्या आते हैं।
एक बार हरिद्वार से जगन्नाथपुरी जाते समय श्री गुरुनानक देव जी जब अयोध्या आये तो यहाँ पर विश्राम किया था और श्री गुरुगोविंद सिंह साहेब, पंजाब जाते समय जब अयोध्या आये थे तो उन्होंने भी एक रात इस स्थान पर निवास किया था।